कोविड १९ के लिए मानक निर्देश (साधारण, मध्यम व गम्भीर रोग के उपचार तथा परामर्श)

  • वयस्कों के लिए

    • जिनमें कोविड-1९ आर टी पी सी आर जाँच द्वारा स्थापित हो चुका हो
    • लाक्षणिक रूप से कोविड-19 होने में कोई संदेह न हो
    • एक या अधिक वे सामान्य लक्षण (निम्नलिखित), जो कोविड-1९ महामारी में नैदानिक माने जाएँगे, विशेषतः, यदि व्यक्ति अन्य संक्रमित रोगी के निकट संपर्क में आया हो
  • सामान्य लक्षण

    यह वो लक्षण हैं, जो नैदानिक न होते हुए भी, वर्तमान में कोविड-1९ के महासंक्रमण के माने जाएँगे, जबतक की कोई और कारण स्पष्ट न हो । यह लक्षण, एक या एक से अधिक, एकसाथ या अनिश्चित अंतराल पर, किसी भी क्रम में प्रकट हो सकते हैं। कुछ लक्षण ऐसे हैं जो साल अथवा महीने के अनुसार, मौसम के बदलने पर, या पुराने रोगों के कारण उभर सकते हैं, परन्तु वर्तमान संदर्भ में उन्हें कोविड-1९ के लक्षण ही मानना चाहिए जब तक कोई अन्य विकल्प स्पष्ट न हो जाए। इन लक्षणों को न तो नकारा जाए, न ही नगण्य समझा जाना चाहिये।

    • ज्वर । बुख़ार- ठंड या ठिठुरन के साथ, या इनके बिना
    • श्वास लेने में कठिनाई या गति बढ़ जाना
    • छाती में पीड़ा, भारीपन
    • बलग़म के साथ या सूखी खांसी
    • उबकाई, मितली या उल्टी,चक्कर आना
    • पेट में पीड़ा, दस्त, भूख न लगना लग
    • ठंड के लक्षण, बहती नाक, गले में ख़राश,
    • स्वर का बैठना
    • गंध या स्वाद का आभास न होना
    • असामान्य, अकारण सिरदर्द
    • अकारण शिथिलता, थकावट, माँसपेशियों में पीड़ा
    • त्वचा में सूखापन, खुजली, दाने या चकत्ते
    • आँखों से पानी बहना, लाली
    • अत्यधिक नींद
    • मानसिक भ्रम
    • अत्यधिक मूत्र
    • हाथ या पैरों या दोनों की उँगलियों का नीला होना

    कोविड-1९ के कोई विशिष्ट लक्षण नहीं हैं । कोई भी लक्षण जिसका कोई अन्य स्पष्ट कारण ज्ञात न हो कोविड-1९ का द्योतक माना जाना चाहिए।

  • कोविड-19 के रोगियों को निम्न श्रेणियों में बाँटा जा सकता है।

    • लक्षणों के अभाव में, आर टी पी सी आर या रैपिड ऐनटिजन या ट्रूनैट नैदानिक परीक्षण में प्रमाणित
    • साधारण रोग
      • आर टी पी सी आर या रैपिड ऐनटिजन या ट्रूनैट नैदानिक परीक्षण में प्रमाणित
      • रक्त में ऑक्सीज़न का स्तर (ऐस पी ओ टू) ९४% से अधिक हो
      • ऐच आर सी टी स्कैन मे ७/२५ या इससे कम अंक
      • श्वास लेने में कठिनाई या गति बढ़ जाना नहीं हो
      • अन्य ऊपरिलिखित सामान्य लक्षण हो सकते हैं
    • मध्यम रोग
      • श्वास लेने में कठिनाई या गति बढ़ जाना
      • आर टी पी सी आर या रैपिड ऐनटिजन या ट्रूनैट नैदानिक परीक्षण में प्रमाणित
      • रक्त में ऑक्सीज़न का स्तर (ऐस पी ओ टू) ९४% से अधिक हो
      • ऐच आर सी टी स्कैन मे ८/२५ से १३/२५ तक अंक
      • अन्य ऊपरिलिखित सामान्य लक्षण हो सकते हैं
    • गम्भीर रोग
      • श्वास लेने में कठिनाई या गति ३० श्वास प्रतिमिनट या उससे अधिक
      • आर टी पी सी आर या रैपिड ऐनटिजन या ट्रूनैट नैदानिक परीक्षण में प्रमाणित
      • रक्त में ऑक्सीज़न का स्तर ( ऐस पी ओ टू) ९४% से कम हो
      • ऐच आर सी टी स्कैन मे १३/२५ से अधिक अंक
    • विकट
        रक्तचाप का ऊपरी अंक ८० से कम, “शॉक”
        श्वास लेने में असफलता
        अचेतन, कई अंगों का एकसाथ विफल हो जाना

    रक्त में ऑक्सीज़न का स्तर समुद्रतल के स्तर के अनुसार कम /अधिक होता है – ऊँचाई बढ़ने से कम हो सकता है उपरोक्त ऑक्सीज़न के स्तर समुद्रतल पर कमरे की सामान्य वायु में नापे गए हैं

  • यदि होने का कोविड १९ का संदेह हो

    • यदि लक्षण प्रथम तीन श्रेणियों में से किसी हों तो तुरन्त स्वयं को अपने सम्पर्क के सभी लोगों से पृथक (अलग) करलें
    • किसी भी लक्षण के प्रगट होने के पहले पाँच दिन में आर टी पी सी आर या ट्रूनैट नैदानिक परीक्षण करवाएं । स्थिति / लक्षण के बिगड़ने की प्रतीक्षा न करें
    • सम्पर्क में आए सभी व्यक्तियों को सूचित कर अवगत कर दें
    • निकट सम्पर्क में रहने वाले लोग, विशेषत: एक ही घर में रह रहे परिवार के सदस्य या कर्मचारी, नियमित रूप से सम्पर्क में आने वाले स्थायी / अस्थायी कर्मचारी, मित्र इत्यादि को कोविड १९ से संक्रमित मानकर चलना चाहिए। उन सभी का आर टी पी सी आर या ट्रूनैट नैदानिक परीक्षण होना चाहिए, लक्षणों के प्रगट होने प्रति सचेत रहना चाहिए, तापमान व ऑक्सीज़न के स्तर की नियमित जाँच हो । आदर्श स्थिति में, उन सभी को परस्पर पृथक हो जाना चाहिए
  • रक्त में ऑक्सीज़न के स्तर की जाँच (ऐस पी ओ टू %– SpO2%)

    • इसको “पल्स ऑक्सीमीटर” नामक यन्त्र से नापा जाता है
    • ऑक्सीमीटर अच्छी गुणवत्ता का हो ताकी जाँच पर विश्वास किया जा सके
    • स्वस्थ व्यक्ति का स्तर सामान्यत: ९४ % या अधिक होता है- इस प्रकार यन्त्र की विश्वस्नीयता का परीक्षण किया जा सकता है
    • एक ही व्यक्ति की उँगलियों में भिन्न-भिन्न स्तर हो सकता है
    • संदेह होने पर, यन्त्र को प्रयोगशाला मे जंचवा कर प्रतिस्थापित ( कैलिब्रेट) करवाएं
    • बैठकर, प्रमुख हाथ (जो अधिक प्रयोग में आता हो) की पहली या दूसरी उँगली में ऑक्सीज़न स्तर नापें – जिस उँगली में अधिक स्तर हो, आगे से उसी में नापें
    • धूम्रपान करने वाले या कुछ हृदय / फेफड़ों / रक्त के रोग से ग्रसित लोगों को छोड़कर, स्वस्थ व्यक्ति में ऑक्सीज़न का स्तर सामान्यत: ९४% से ऊपर होता है हो यदि स्तर ९४% से अधिक है तो आगे कुछ नहीं करना है सिवाय नियमित जाँचने के
    • यदि आगामी दिनो में, ऑक्सीज़न का स्तर कम होता है, तो दाँए या बाँए करवट लेटकर पुन: नापें – सामान्यत: २ से ३ प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए । यदि ऐसा न हो तो ६ मिनट चलने के पश्चात पुन: नापें ।
    • उत्तेजित / विचलित / घबराए या भयभीत व्यक्ति छिछली साँसें तेज़ी से लेने लगता है जिससे ऑक्सीज़न का स्तर कम हो सकता है। यदि ऐसा हो तो ६ मिनट चलने के पश्चात पुन: नापें ।
    *चलने से छिछली साँसें पुन: सामान्य हो जाती हैं । *यदि शिथिलता, हृदय / फेफड़े के ज्ञात रोग अथवा किसी कारण से ६ मिनट न चल सकें, तो रुक जाएं, किसी संकट को निमन्त्रण दें *यदि ऑक्सीज़न का स्तर कम हो, जैसे ९२% तक चला जाए, तो आश्वस्त रहें क्योंकि अधिकाँश लोग ८८% तक सुरक्षित होते हैं *वृद्ध (८० से अधिक आयु) लोगों का ऑक्सीज़न स्तर ९० +/- २ %होती है – इसके ८५% तक गिर जाने पर भयभीत न हों
  • श्वास की गति एक उपयोगी मानदण्द है

    • स्वस्थ व्यस्कों के श्वास लेने कि गति २० से कम होती है
    • यदि ६ मिनट चलना सम्भव न हो
    • वृद्ध रोगी
    • किसी पूर्व स्थापित रोग के कारण ऑक्सीज़न पहले ही ९४% से कम हो
    *यदि ऑक्सीज़न का स्तर तो कम हो परन्तु न तो श्वास लेने की गति बढ़े, और न ही रोगी संकट में प्रतीत हो, वह सुरक्षित माना जाएगा *यदि ऑक्सीज़न के स्तर में विशेष गिरावट न हो पर श्वास लेने की गति २४ / प्रति मिनट या और अधिक हो जाए तो शीघ्र उपचार करें
  • शरीर के तापमान, रक्तचाप व ग्लुकोज़ को तीन बार प्रतिदिन नापें

  • हृदय की गति सामान्यत: ९०/ प्रतिमिनट से कम, व ६०/ प्रतिमिनट से अधिक होती है

    • गर्भवती महिला, व्यायाम / कड़े परिश्रम के बाद, भयभीत या उत्तेजित होने पर यह बिना रोग के ९०/ प्रतिमिनट से अधिक हो सकती है
    • कसरती युवा पुरुष / महिला, टायफ़ायड में यह ६०/ प्रतिमिनट से कम हो सकती है
  • यदि ऑक्सीज़न का स्तर ९४% से कम हो जाए तो देखें कि निम्न क्रियाओं से कितना सुधार होता है

    • गहरी साँस लेने के व्यायाम से ऑक्सीज़न स्तर में ४ से ५% का लाभ
    • कुछ अवधि चलने के पश्चात ५% तक की वृदधि
    • पेट के बल लेट कर अथवा दाँए / बाँए करवट लेकर गहरी-गहरी साँस लेने २ से ५% तक की वृद्धि
    • *पेट के बल अर्थात प्रवण मुद्रा में लेटने के लिए छाती के मध्य में जो हड्डी है व कूल्हे की हड्डी (जहाँ कपड़ों की पेटी बंधती है), एक तकिए का सहारा लें – ध्यान रहे की पेट पर कोई भी दबाव न पड़े *यदि पेट के बल लेटने पर ऑक्सीज़न का स्तर पहले से और कम हो जाए तो तुरन्त सीधे लेटें व चिकित्सक से परामर्ष करें
    • अपने चिकित्सक के निर्देशानुसार ब्यूडेसोनाइड “इनहेलर” का प्रयोग शरीर
    • २०० माइक्रोग्राम प्रति पफ़ के ४ या १०० माइक्रोग्राम प्रति पफ़ के ८ पफ़ ब्यूडेसोनाइड “इनहेलर” या “नेब्यूलाइज़र” के समनान्तर (साथ-साथ), कोई अन्य औषधि के प्रयोग से बचें पहले से चल रहे दमे की औषधि / इनहेलर पूर्ववत् चलने दें पानी की भाप लाभ से अधिक हानि कर सकती है यदि ब्यूडेसोनाइड उपलब्ध न हो तो फ़ौरमोटेरौल व ब्यूडेसोनाइड का संयोजित इनहेलर प्रयोग करा जा सकता है
    • ऑक्सीज़न के स्रोत (सिलिनडर या “कौन्सेन्ट्रेटर) का प्रबन्ध करें
  • आहार

    • स्वास्थ्यवर्धक, पौष्टिक भोजन, संतुलित आहार पर कोई अँकुश नहीं
    • मधुमेह (डायबिटीज़) के रोगी कुल कैलोरी का ध्यान रखें
    • अन्य दीर्घकालीन रोगों से ग्रसित वयक्ति चिकित्सक के निर्देशानुसार *कोविड १९ में स्टिरौयड के प्रयोग के कारण रक्त में ग्लूकोज़ अत्यधिक बढ़ता है
  • तरल पदार्थ

  • ज्वर में तापान के बढ़ने से, उल्टी या दस्त होने पर शरीर में पानी व नमक (सोडियम-पोटैशियम) की कमी होती है, जिसकी आपूर्ती आवश्यक है
  • मूत्र के गाढ़े रंग व शुष्क (सूखी) , सिकुड़ी त्वचा से पानी की कमी का अनुमान लगाया जा सकता है
  • कुछ रोगियों को अपने पुराने रोग के अनुसार सीमित मात्रा में तरल पदारथ लेने होंगे, उदाहरण के लिए – उच्च रक्तचाप, गुर्दे / हृदय / फेफड़ों का विफल होना इत्यादि
  • उपचार

    कुछ मूलभूत तथ्य

    • कोरोना / कोविड१९ की कोई विशिष्ट औषधि नहीं है
    • उपचार लक्षणों का किया जाता है
    • जानलेवा स्थिति में ऑक्सीज़न की आपूर्ती, स्टिरौयड रक्त प्रवाह में सहायक रक्त “पतला” करने वाली औषधियाँ ही उपचार की धुरी हैं
    • श्वास लेने की क्रियाएँ, ऑक्सीज़न, उचित समय पर व मात्रा में स्टिरौयड व औषधियाँ जीवन रक्षा कर सकती हैं
    • प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) को सुदृढ़ करने के प्रयास व जिजीविषा सफलता के लिए अत्यावश्यक
      • ज्वर, माँसपेशियों में पीड़ा, सिरदर्द , आँखों/गले में पीड़ा के लिए ६५० मिलिग्राम पैरासीटामॉल
      • * तापमान १००*फ़ाह्रेनहाइट या उससे ऊपर हो, तभी पैरासीटामॉल लें * गीली पट्टियों से भी तापमान नीचे लाने का प्रयास करें -
      • गले में खराश – सादे पानी / बीटाडीन के गरारे, घरेलु उपाय जैसे मिश्री चूसना
      • सूखी खाँसी – लीवोसेट्रिज़ीन ५ मिलीग्राम रात में, घरेलु उपाय
      • सामान्य सर्दी, ज़ोकाम व नज़्ले जैसे लक्षण – ब्यूडेसोनाइड / फ़ौरमोटेरौल व ब्यूडेसोनाइड का संयोजित इनहेलर
      • बलग़म के साथ खाँसी – मौन्टेल्युकास्ट गोली / पेय रूप में
      • पेट दर्द – घरेलु उपचार जैसे दही, केलों का सेवन,
      • * उल्टी / दस्त से उत्पन्न पानी व नमक (सोडियम-पोटैशियम) की कमी अत्यन्त महत्वपूर्ण होती है – पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ, जिसमें सर्वोत्तम है विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा प्रत्यापित “जीवनरक्षक” घोल (उदाहर्णाथ – इलैक्ट्राल) अत्यावश्यक हैं
  • मध,यम / गम्भीर रोग में स्टिरौयड व रक्त “पतला” करने वाली औषधियों का प्रयोग

    • यह अत्यन्त संवेदनशील विषय है – इनका प्रयोग युक्तिसंगत, विवेकपूर्ण, वैज्ञानिक रूप से तर्कसंगत व चिकत्सक परामर्श और निर्देशानुसार होना चाहिए
    • यदि ऑक्सीज़न का स्तर ९०% कम हो गया है और रोगी को किसी भी कारणवश अस्पताल / चिकित्सालय में नहीं भर्ती किया जा सकता हो, तो तुरन्त चिकित्सक से सम्पर्क कर उनके निर्देशानुसार मौखिक स्टिरौयड व निरोधक / निवारक / प्रतिबंधक मात्रा में रक्त “पतला” करने वाली औषधियों ( एपिक्साबैन या रिवोरौक्साबैन ) प्रारम्भ की जानी चाहिए
    * जिन लोगों को पहले से ऐस्पिरिन/इकोस्परिन चल रही हो , उसे एपिक्साबैन या रिवोरौक्साबैन प्रारम्भ करने से पहले बन्द करना चाहिए * न्युनतापूरक/ निवारक (सप्लिमेन्टल) ऑक्सीज़न शुरु करने से पूर्व यह सबसे महत्वपूर्ण, आवश्यक क्रिया है * ऐसे रोगी को किसी परिश्रम से बचना तथा विश्राम करना चाहिए * लेटने के बजाय बैठ कर गहरी-गहरी साँस लेने का प्रयास करें
  • निम्न स्टिरौयड में से कोई एक का मौखिक या नाड़ी के रास्ते प्रयोग किया जाता है

    • डैक्सामीथाज़ोन – कुल ६ मिलिग्राम प्रतिदिन
      - ३ मिलिग्राम दिन में दो बार
    • मिथाइलप्रैड्निज़ोलोन - कुल ३२ मिलिग्राम प्रतिदिन
      - १६ मिलिग्राम दिन में दो बार
    • प्रैड्निज़ोलोन - कुल ४० मिलिग्राम प्रतिदिन
      - २० मिलिग्राम दिन में दो बार
    • डैफ्लाज़ाकोर्ट - कुल ४८ मिलिग्राम प्रतिदिन
      - २४ मिलिग्राम दिन में दो बार
  • प्रतिरोधक शक्ति (इम्युनिटी) बढ़ाने के सामान्य प्रयास समनान्तर रूप से चलने चाहिए

    • विटामिन सी १००० मिलिग्राम दिन में दो बार, पंद्रह दिन या अधिक
    • जस्ता (ज़िन्क), आवश्यक खनिज है – १० से ५० मिलिग्राम प्रतिदिन : k पंद्रह दिन से अधिक नहीं
    • विटामिन डी की भूमिका संदेहास्पद है – यदि जाँच में कमी हो तभी लें
    * ६०००० यूनिट सप्ताह में एक बार, अधिकतम ८ सप्ताह तक * वार्षिक मात्रा ६ लाख यूनिट से अधिक न होने पाए
  • व्यक्ति के पुराने सभी रोगों का उपचार व औषधियाँ पूर्ववत चलती रहें

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